राष्ट्रीय स्तर पर सुखेल के संचालन हेतु वर्ष 2022 में ‘सुखेल फेडरेशन ऑफ इंडिया ‘ का गठन किया गया है,जो भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा पंजीकृत है । फेडरेशन का मुख्यालय अरवल (बिहार) में स्थित है। इसका मुख्य कार्य विभिन्न स्तर पर सुखेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करना, उसे नियंत्रित करना, खिलाड़ियों एवं सुखेल के विकास में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को पुरस्कृत करना है। फेडरेशन द्वारा सहितवरों,प्रशिक्षकों, संचालकों एवं निर्णायकों को सदस्यता दिया जाता है तथा सुखेल से संबंधित आवश्यक प्रशिक्षण एवं सहायता प्रदान किया जाता है।
सुखेल फेडरेशन ऑफ इंडिया का विवरण : –
1. संस्थान का नाम – सुखेल फेडरेशन ऑफ इंडिया
2. शॉर्ट फॉर्म – एस एफ आई
3. कार्य क्षेत्र – राष्ट्रीय
4. स्थापित – 2022
5. मुख्यालय – माँ कुन्ती भवन, श्री महेश चंद्र सिंह चौक, खैर विगहा रोड, अरवल ( बिहार ) पिन – 804401
6. वर्तमान चेयरमैन – आयुष रंजन
सुखेल एक परिचय
सुखेल एक साहित्यिक खेल है, जिसका अविष्कार हिन्दी साहित्य को प्रोफेशन के रूप में स्थापित करने एवं उसे अर्थदायक बनाने के निमित्त ब्रिटिश वर्ल्ड रिकार्ड विजेता युवा कवि पुष्प रंजन कुमार द्वारा किया गया है ।इसे भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा कॉपीराइट प्रदान किया गया है। साहित्य -जगत में खेल के रूप में सुखेल देश का पहला अविष्कार है।
‘सुखेल’ एक आयताकार मंच पर खेला जाता है। इसके खिलाड़ी को सहितवर कहा जाता है। इस खेल में असमानता, विसंगति, विद्रूपता, आडम्बर, कुरीत आदि समाजिक व मानवीय बुराईयों पर सभी साहित्यिक विधाओं यथा-कविता, कहानी, व्यंग्य, शायरी, गजल, गीत, मुक्तक, प्रेरक- प्रसंग,दोहा, निबन्ध, भाषण आदि से चोट/प्रहार किया जाता है। खेल के निर्णायकों द्वारा सहितवर /टीम को प्रहार के आधार पर वार ( अंक ) दिया जाता है ।अपनी रचना होने पर प्रति प्रहार एक- एक वार एवं दूसरे लेखक की रचना पर एक- एक पुष्प प्रदान किया जाता है। एक पुष्प 2 वार का मान रखता है। अधिक वार प्राप्त करने वाली टीम या सहितवर विजयी होता है। दोनों टीमों / खिलाडियों का वार समान होने की स्थिति में संचालक द्वार खिलाड़ी की रचना एवं उसकी प्रस्तुति कौशलता के आधार पर एक तारा प्रदान किया जाता है। एक तारा (स्टार) 5 वार का मान रखता है।यह खेल एकल तथा युगल दो प्रकारों से खेला जाता है। इस खेल से जहां खिलाड़ियों का मानसिक, बौध्दिक, नैतिक एवं सामाजिक कौशलता समृद्ध होती है, वहीं आदर्श समाज की स्थापना बलवती होती है।